Rupinder Gandhi - The Gangster..? रूपिंदर गांधी की जीवनी

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Rupinder Gandhi - The Gangster..? रूपिंदर गांधी की जीवनी


 

biography of rupinder gandhi


रूपिंदर गांधी को आपने Rupinder Gandhi - The Gangster..? फिल्म में देव खरोड़ के जरिए देखा होगा। जिसमें रूपिंदर गांधी से रूपिंदर गांधी गैंगस्टर बनने तक का सफर दिखाया गया है। लेकिन क्या वजह थी जिसके कारण एक फुटबाल प्लेयर गैंगस्टर बनने पर मजबूर हुआ। इसके बारे में शायद आप में से बहुत कम लोग जानते होंगे।  

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Rupinder Gandhi - The Gangster..1 और 2 में रूपिंदर गांधी की पूरी जीवनी दिखाई गई है। लेकिन उसमें भी कुछ ऐसी बाते रह गई हैं, जो हम आपको आज इस स्टोरी में बताएंगे..रूपिंदर गांधी की बायोग्राफी। आईए जानते हैं कि आखिर कौन था रूपिंदर गांधी और कैसे वो एक जाने माने फुटबाल प्लेयर से बना गैंगस्टर......

कौन था रूपिंदर गांधी और कहां हुआ जन्म?



रुपिंदर गांधी का जन्म पंजाब के खन्ना के गांव रसूलपुर (रसूलड़ा)  में हुआ था। वह गांधी जयंती यानि 2 अक्टूबर 1979 के दिन पैदा हुए थे, इसलिए उनके पिता हरदेव सिंह औजला ने उनका नाम गांधी रखने का फैसला किया। रूपिंदर गांधी को 22 वर्ष की उम्र में गांव का सरपंच बना दिया गया। रुपिंदर एक बेहतरीन राष्ट्रीय फुटबॉल खिलाड़ी थे और साथ ही वो पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ के एक काबिल छात्र एवं स्थानीय यूथ आइकॉन के तौर पर जाने जाते थे। उनके नाम पर चंडीगढ़ में गांधी ग्रुप बना, जो आज पर स्टूडेंट चला रहे हैं। गांधी ग्रुप के कारण रूपिंदर लड़ाई-झगड़ों में जाने लगा। 




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रूपदिंर गांधी की सोच थी कि मौत तो एक दिन आनी ही है कि डर कर क्यों जीना है। इसलिए वो डर कर नहीं डरा कर जीने में विश्वास रखने लगा। उसके साथ ग्रुप में कुछ ऐसे साथी थे, जो उसपर जान छिड़कते थे। उनके साथ मिलकर गांधी कब्जे लेने लगा और राजनीतिक के दबाव में पूरे पंजाब में गांधी का नाम बोलने लगा। बताया जाता है कि जो लड़का गांव में इतना शरीफ हुआ करता था, बाद में उसके नाम से पूरा गांव डरता था।

रुपिंदर गांधी का बचपन



रुपिंदर गांधी बचपन से ही काफी समझदार थे। उनकी एक खासियत यह भी थी कि वह अपने गांव वालों की मदद के लिए हर मुश्किल घड़ी में मसीहा बन कर खड़े रहते थे। इसी कारण सभी गांव के लोगों का उनके प्रति बेहद लगाव था। उनकी पढ़ाई गांव के ही एक स्कूल में पूरी हुई। उन्होंने अपनी आगे की पढ़ाई पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ में जारी की।


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रूपिंदर को बचपन से ही फुटबॉल खेलने का काफी शौक था, जिसको उन्होंने कॉलेज स्तर पर भी जारी रखा। उन्होंने नैशनल लेवल तक फुटबॉल खेला था। वह कॉलेज के दोस्तों में काफी मशहूर थे। जब भी उनका कोई दोस्त किसी लडाई-झगड़े में फंसता तो वह उसका साथ देने के लिए वहां पहुंच जाते थे। लेकिन धीरे-धीरे यह सभी लड़ाईयां गैंगवार में बदल जाएंगी, शायद यह उन्होंने कभी खुद भी नहीं सोचा होगा। इन्हीं लड़ाईयों ने ही उसे एक गैंगस्टर बना दिया।

रुपिंदर गांधी का गांव का सरपंच बनना



रुपिंदर का गांव वालों के प्रति चिंताजनक ध्यान उन्हें सबकी नजरों में हीरा बना बैठा था। जिसके कारण महज 22 वर्षीय छोटी उम्र में ही गांव वालों ने आपसी सहमती से उसे गांव का सरपंच घोषित कर दिया था। रुपिंदर ने सरपंच बनने के आड़ ढेरों नेक काम अंजाम दिए और लोगों का दिल जीता। उन्होंने कईं गरीब लड़कियों का ब्याह करवाने में मदद की। वह लोगों की मदद करने के लिए हमेशा आगे आते थे। इसलिए गांव वाले उन्हें एक मसीहा के तौर पर जानते थे। जहां एक तरफ रुपिंदर गांधी अपने गांव में एक नेक इंसान बन कर उभरे। वहीँ गांव के बाहर उनके लड़ाईयों और झगड़े बढ़ते चले गए। जिसके चलते उनपर कई मुकदमें भी दर्ज हुए।

रूपिंदर गांधी की मौत



रूपिंदर गांधी राजनीति का शिकार होकर गैंगस्टर बना था। इसलिए बहुत से गैंगस्टर और नेता उन्हें अपने रास्तें का रोड़ा समझते थे। रूपिंदर की दुश्मनी धीरे-धीरे बहुत ज्यादा बड़ चुकी थी। इसलिए कुछ लोग उन्हें जान से मारने पर उतारू थे। बताया जाता है कि 5 सितंबर 2003 को उन्हें अगवा कर के गांव सलोड़ी में रखा गया था। जहां 9 सितंबर 2003 को उसे 2 गोलियां मारकर बेरहमी से हत्या करके उसकी लाश को भाखड़ा नहर में फैंक दिया। रूपिंदर गांधी के दोस्तों के अनुसार  24 साल की उम्र में रुपिंदर गांधी की हत्या पहलवान गैंग के सदस्यों की थी।



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बताया जाता है कि जब पुलिस को रूपिंदर गांधी की लाश मिली तो उन्होंने किसी को भी इसकी खबर न देते हुए चोरी-छिपे उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। ताकि उनके चाहने वाले उनकी मौत पर शांति भंग न करें। लेकिन उनकी मौत और अंतिम संस्कार को लेकर कई मतभेद होते रहे हैं। पुलिस द्वारा कहा जाता रहा है कि उन्हें उसकी लाश नहीं मिली थी। लेकिन हो कुछ भी पंजाब ने एक सूरमा खो दिया।


 

2017 में रूपिंदर गांधी की भाई की हत्या



गांव रसूलड़ा में 2017 को दो नकाबपोशों ने गैंगस्टर रुपिंदर सिंह गांधी के छोटे भाई मनविंदर सिंह (34) की गोली मारकर हत्या कर दी। आरोपियों ने गांव के खेतों में बने मृतक के घर के पास मोटर पर वारदात को अंजाम दिया। बता दें कि मनविंदर पूर्व कांग्रेसी सरपंच रह चुका है। मनविंदर सिंह गांधी उर्फ मिंदी सुबह करीब साढ़े सात बजे अपने भतीजे दविंदर सिंह नोना के साथ खेतों में फसल को स्प्रे करने निकला था। तभी खेतों में से दो नौजवान आए और मोटर पर मिंदी को चार गोलियां मार दी। लहूलुहान मिंदी को अपोलो अस्पताल लुधियाना ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

वारदात के बाद हमलावरों ने कई हवाई फायर किए और वहीं पर खड़ा मिंदी का बुलेट मोटरसाइकिल लेकर फरार हो गए। नोना ने घर में खड़ी स्कार्पियो गाड़ी से हमलावरों का पीछा किया। करीब आधा किलोमीटर दूर नोना ने स्कार्पियो से बुलेट सवार हमलावरों को टक्कर मारकर गिरा दिया। जब तक नोना ने गाड़ी मोड़ी, हमलावर वहां से एक नौजवान की इनोवा गाड़ी छीनकर गांव रसूलड़ा की तरफ भागे। इसके बाद वे गांव के बीच इनोवा गाड़ी छोड़कर एक नौजवान से बाइक छीनकर सुए वाली सड़क से बाहोमाजरा गांव की तरफ भाग गए।

दोस्तों ये एक रियल स्टोरी है रूपिंदर गांधी जिसे लोग गैंगस्टर के तौर पर जानते हैं। लेकिन वो एक बहुत अच्छा इंसान था। उसे गैंगस्टर बनाने में राजनीति का सबसे बड़ा हाथ था। राजनेतओं के दमखम पर उसने लड़ाई-झगड़े शुरू किए जो आखिरकार उसे मौत के मुंह की ओर ले गए। उसे नहीं पता था कि ये लड़ाई-झ़गड़ों का अंत क्या होगा। इसलिए दोस्तों ऐसे लड़ाई-झगड़ों से बचो.


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