कौन है हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे | Vikas Dubey Wikipedia Hindi

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Vikas Dubey Wikipedia Hindi : Vikas Dubey kanpur एक ऐसा नाम है, जिसे पिछले तीन-चार दिन से सबसे ज्यादा Google पर सर्च किया गया है। लोग ये जानने के लिए बहुत ज्यादा उत्सुक है कि आखिर ये कुख्यात विकास दुबे कौन है? कौन है विकास दुबे जिसने पूरी यूपी को हिला कर रख दिया? यूपी पुलिस के 8 पुलिस कर्मचारियों को गोलियों से भूनने वाले हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के बारे में आज हम आपको बताने वाले हैं। इसलिए विस्तार से पूरा पढ़े....


विकास दुबे (Vikas Dubay) मूल रूप से कानपुर में बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरू गांव के रहने वाले हैं। गांव में उन्होंने अपना घर किले के जैसा बना रखा है। 2 जुलाई को गैंगस्टर विकास दुबे को पकड़ने के लिए गई यूपी पुलिस पर दुबे द्वारा हमला कर दिया। जिसमें 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गए। गुरुवार रात की घटना के बाद से विकास दुबे फरार है, लेकिन इस दौरान पुलिस जांच में कई महत्वपूर्ण खुलासे हो रहे हैं।


लोगों के बीच विकास दुबे को लेकर इतनी दहशत थी कि वो कुछ भी बोलने से घबराते थे। वजह थी पुलिस और सत्ता तक उसकी पहुंच, पावर का पागलपन। एक खुलासे के मुताबिक विकास दुबे 2 जुलाई गुरुवार की रात आठों पुलिस वालों की मौत के बाद उनके शव को गांव में ही चौराहे पर जलाना चाहता था। इन सब में विकास दुबे की मदद कर रहे थे डरे हुए गांव के लोग। क्योंकि विकास के खिलाफ बोलने की किसी गांव वाले की हिम्मत तक नही है।


बताया जाता है कि हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की पकड़ सभी राजनीतिक दलों में है। साल 2002 में मायावती के मुख्यमंत्री रहते हुए विकास दुबे ने कई जमीनों पर अवैध कब्जे किए। गैर कानूनी तरीके से काफी सारी संपत्ति बनाई है। इस दौरान बिल्हौर, शिवराजपुर, रिनयां, चौबेपुर के साथ ही कानपुर नगर में विकास दुबे का खासा दबदबा था। विकास दुबे ने जेल में रहते हुए शिवराजपुर से नगर पंचायत का चुनाव भी जीता था। इसके बाद से यूपी में विकास दुबे के नाम की तूती बोलने लगी।




विकास दुबे का परिवार



गांव वासियों के मुताबिक, विकास दुबे के पिता किसान हैं और विकास अपने भाइयों में सबसे बड़े हैं। विकास की पत्नी ऋचा दुबे फिलहाल जिला पंचायत सदस्य हैं। विकास दुबे खुद नगर पंचायत चुनाव जीत चुके हैं। जिसके चलते उनकी राजनीति में भी अच्छी पैंठ थी।


यहां पर एक ओर बात जो खास और बताने योग्य है कि चाहे लोग विकास दुबे को गैंगस्टर और हिस्ट्रीशीटर के नाम से जानते थे। उनके खिलाफ थाने में कितने भी मुकदमा दर्ज थे। लेकिन गांव में उनकी कोई भी बुराई नहीं करता है और न ही उनके खिलाफ कोई गवाही देने को तैयार है। इसके पीछे उनके नाम और गांव में जमाया हुआ दबदबा है, जिसके कारण कोई भी उनके खिलाफ बोलने तक को तैयार नहीं है।


गांववासियों के अनुसा, साल 2020 के आसपास शिवली के तत्कालीन नगर पंचायत के चेयरमैन लल्लन वाजपेयी से विवाद के बाद विकास दुबे ने अपराध की दुनिया में कदम रखा था। उसके बाद से उनके खिलाफ अनेकों आपाराधिक मुकदमे दर्ज हुए। विकास दुबे के दो बेटे हैं, जिनमें से एक इंग्लैंड में एमबीबीएस की पढ़ाई कर रहा है, जबकि दूसरा बेटा कानपुर में ही रहकर पढ़ाई कर रहा है।



पुलिस और राजनीतिक दबदबा


कुख्यात विकास दुबे का पुलिस और राजनीति में दबदबा था। उसकी पैठ हर राजनीतिक दल पर होती थी, इसी वजह से आज तक उसे नहीं पकड़ा गया। विकास दुबे कई राजनीतिक दलों में भी रहा है। विकास दुबे बिठूर के शिवली थाना क्षेत्र के बिकरु गांव का रहने वाला है। उसने अपने घर को किले की तरह बना रखा है। यहां उसकी मर्जी के बिना घुस पाना बहुत ही मुश्किल है। विकास दुबे से मिलना बहुत मुश्किल था। इसलिए पुलिस ने जब उसे पकडने के चारों तरफ से घेरा तो उसने भी अपने किले में घुसी पुलिस को घेर लिया और उनपर हमला बोल दिया।

थाने में घुसकर की दी दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री की हत्या


विकास दुबे इतना दबंग रहा है कि उसे किसी कानून का डर नहीं है। 2001 में विकास दुबे ने थाने के अंदर घुसकर बीजेपी के दर्जा प्राप्त राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या कर दी थी। संतोष शुक्ला हत्याकांड ने पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया था, लेकिन पुलिस से लेकर कानून तक उसका कुछ नहीं बिगाड़ पाया। क्योंकि उसे समय विकास के खौफ के चलते किसी ने उसके खिलाफ गवाही नहीं दी थी। लेकिन हत्याकांड के बारे में पता सबको था कि संतोष शुक्ला को विकास दुबे ने मारा है।


थाने में हत्या, किसी पुलिसवाले ने नहीं दी गवाही


विकास दुबे किसी फिल्मी खलनायक से कम नहीं है। बताया जा रहा है कि थाने में घुसकर राज्यमंत्री संतोष शुक्ला की हत्या का आरोप लगने के बावजूद भी उसका कुछ नहीं हुआ। बताया जाता है कि इतनी बड़ी वारदात होने के बाद भी किसी पुलिसवाले ने विकास के खिलाफ गवाही नहीं दी। कोई साक्ष्य कोर्ट में नहीं दिया गया, जिसके बाद उसे छोड़ दिया गया।


चचेरे भाई की हत्या समेत कई कांडों में आया नाम


विकास दुबे को इसके अलावा 2000 में कानपुर के शिवली थाना क्षेत्र स्थित ताराचंद इंटर कॉलेज के सहायक प्रबंधक सिद्धेश्वर पांडेय की हत्या के मामले में भी नामजद किया गया था। इसी साल उसके ऊपर रामबाबू यादव की हत्या के मामले में साजिश रचने का आरोप लगा था। यह साजिश उसने जेल से बैठकर रची थी। 2004 में एक केबल व्यवसाई दिनेश दुबे की हत्या के मामले में भी विकास का नाम आया था। 2013 में भी विकास दुबे ने हत्या की एक बड़ी वारदात को अंजाम दिया था।



जेल में बैठे-बैठे ही भाई को मरवा दिया


विकास दुबे को इतना कुख्यात और गैंगस्टर इस लिए माना जाने लगा क्योंकि विकास ने अपने चचेरे भाई तक को नहीं छोड़ा। उसे भी जेल में बैठे ही विकास द्वारा मरवाया गया था। 2018 में विकास दुबे ने अपने चचेरे भाई अनुराग पर जानलेवा हमला करवाया था। अनुराग की पत्नी ने विकास समेत चार लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।



राजनीतिक दलों में दबदबा


हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे की सभी राजनीतिक दलों पर अच्छी पकड़ रही है। 2002 में बीएसपी की मायावती सरकार के दौरान उसकी तूती बोलती थी। उसके ऊपर जमीनों की अवैध खरीद फरोख्त का आरोप है। उसने गैर कानूनी तरीके से करोड़ों रुपये की संपत्तियां बनाई हैं। बिठूर में ही उसके स्कूल और कॉलेज हैं। वह एक लॉ कॉलेज का भी मालिक है। इसी के राजनीति की आड़ में विकास दुबे कुख्यात गैंगस्टर बन बैठा।


जेल से जीता था चुनाव


विकास दुबे जेल में रहने के दौरान ही चुनाव लड़ा था और शिवराजपुर से नगर पंचयात का चुनाव जीता भी था। बताया जा रहा है कि बीएसपी के कार्यकाल में उसकी बीएसपी में कड़ी पैठ थी। जेल से ही वह हत्याएं समेत कई वारदातों को अंजाम दिलवा देता था। चुनाव जीतने के बाद से राजनीतिक करियर बनाने के चक्कर में वह अपराध की दुनिया में घुस बैठा।


क्यों विकास दुबे को पकड़ने के लिए गई यूपी पुलिस?


कानपुर में चौबेपुर के जिस थाना क्षेत्र में हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे ने 8 पुलिस कर्मियों की हत्या करके योगी सरकार को खुली चुनौती दी है, उसी थाने में विकास दुबे के खिलाफ 60 केस दर्ज हैं। सबसे अहम बात ये है कि विकास उसके घर में अकेला हिस्ट्रीशीटर नहीं है, बल्कि उसके तीन भाई अतुल दुबे, दीपू दुबे और संजय दुबे भी इसी थाने में हिस्ट्रीशीटर के तौर पर दर्ज हैं। थाने में लगे हिस्ट्रीशीट बोर्ड पर चारों भाइयों के नाम लिखे हुए हैं।


कानपुर में इस मुठभेड़ के बाद विकास दुबे यूपी पुलिस का मोस्ट वॉन्टेड बन गया है। विकास ने यह खूनी साजिश राहुल नामक एक शख्स की उस एफआईआर के बाद रची, जो गुरुवार को चौबेपुर थाने में दर्ज कराई गई थी। इस संबंध में थाने के दीवान यशवीर सिंह ने बताया कि विकास समेत उसके तीनों भाइयों की हिस्ट्रीशीट है। इस खूनी खेल के पीछे वजह बनी राहुल की एफआईआर। उसी की शिकायत पर पुलिस जांच के लिए विकास के गांव बिकरू गई थी।


विचार___


Vikas Dubey Wikipedia Hindi : यहां पर हमारा एक ही मकसद है कि आपको यह पता चल सके कि आखिर विकास दुबे कौन है?  विकास दुबे कानपुर का हिस्ट्रीशीटर है। जिसके बारे में हमने आपको पूरी जानकारी दे दी है। आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसे लगी अपने विचार जरूर लिखें और इसे आगे जरूर शेयर करें। धन्यवाद


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