मलोट के इतिहास (History of Malout) - Wikipedia Hindi

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History of Malout : आज हम इस पोस्ट में बात करेंगे मलोट के इतिहास (History of Malout in Hindi) के बारे में। मलोट (Malout Wikipedia in Hindi) पंजाब के जिला श्री मुक्तसर साहिब का एक बहुत ही सुंदर शहर है। जिसे जिले की तहसील का दर्जा भी मिला हुआ है। मलोट का नाम पंजाब की राजनीति में एक अहम स्थान रखता है। तो आईए आज जानते हैं मलोट का इतिहास (Histroy of Malout in hindi)

कभी समय था कि मलोट को एक छोटी मंडी के तौर पर जाना जाता था, लेकिन आज के समय में मलोट की एक अलग पहचान है और पूरे पंजाब ही नहीं ब्लकि भारत सहित दुनिया में मलोट के लोगों ने अपने नाम के झंडे बुलंद किए हुए हैं। मलोट शहर का नाम ज्यादा सुर्खियों में इस लिए रहता है क्योंकि यहां से पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री स. प्रकाश सिंह बादल के परिवार का अहम नाता जुड़ा हुआ है।

Histroy of Malout in hindi

मलोट राष्ट्रीय राजमार्ग-10 पर बसा एक बहुत ही सुंदर शहर है। जिसकी हदें अबोहर (Abohar) की तरह पंजाब, हरियाणा और राजस्थान से लगती है। इसलिए अबोहर के दूसरे भाई के तौर पर मलोट (Malout) को माना जाता है। मलोट (Malout) जिला श्रीमुक्तसर साहिब में सबसे ज्यादा जनसंख्या वाली तहसील है। इसलिए इसे अहम दर्जा दिया जाता है।

मलोट की भौगोलिक स्थिति


जैसे कि पहले ही बताया जा चुका है कि मलोट (Malout) शहर की हद जहां एक तरफ हरियाणा से लगती है तो वहीं दूसरे तरफ मलोट के राजस्थान की सीमा है। मलोट रेलवे स्टेशन बठिंडा से लगभग 44 किमी दूर बठिंडा-श्रीगंगानगर रेलवे लाइनों पर है और सड़क मार्ग से लगभग इतनी ही दूरी पर है। मलोट से श्रीमुक्तसर साहिब, अबोहर और डबवाली की दूरी लगभग एक ही है, जो करीब 30 किलोमीटर है।

इसलिए मलोट हर तरफ से दूसरे शहरों और राज्यों के साथ जुड़ा हुआ है। इसके अलावा मलोट (Malout) से अबोहर, श्रीमुक्तसर साहिब, फाजिल्का, बठिंडा, डबवाली, हरियाणा आदि को जाने के लिए राजमार्ग बने हुए हैं। जिसके कारण मलोट (Malout) से आप किसी भी शहर में जा सकते हैं। यह बीच में बना सुंदर शहर है।

मलोट (Malout) के नाम का रहस्य (History of Malout in Hindi)


मलोट (Malout) शहर के नाम को लेकर आज तक कोई सही तथ्य सामने नहीं आ पाया है। लेकिन फिर भी मलोट के इतिहास को लेकर दो अलग-अलग कहानियां प्रचलित है। जिसके आधार पर ही मलोट का इतिहास जाना जाता है। कहते हैं कि मलोट का इतिहास 4-5 सदी पुराना है। कहते हैं कि यहां सबसे पहले मान जाति के लोग मलोट के निकट एक कच्चा किला बनाकर रहते थे। जिसके निशान आज भी कायम है। उस समय इस गांव को मानकोट कहा जाता था, फिर धीरे-धीरे मानओट और उसके बाद मलोट के नाम से शहर बन गया।

वहीं दूसरी कहानी के अनुसार यहां पर एक भलवान कहा करता था, जो बहुत इमानदार और दयालू था। लोगों के सुख-दुख में हर समय उनका सहयोग करता था। जब भी किसी को कोई जरूरत होती तो लोग उसके पास जाते और वो उनकी मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहता था। इसीलिए लोग उनके कारण कहते थे कि वह मल की ओट में रहते हैं। ऐसे धीरे-धीरे गांव का नाम मलोट पड़ गया।

मलोट के नाम को लेकर कहावते तो दो हैं, लेकिन आज तक सिद्ध नहीं हो सका है कि कौन सी सही है और मलोट के नाम के पीछे रहस्य क्या है। फिर भी लोग इन्हीें दो कहावतों को जानते हैं।

मलोट का इतिहास (History of Malout)


कहते हैं कि 18वीं शताब्दी में ब्रिटिश शासन के दौरान मलोट क्षेत्र विकसित हुआ। उस समय 1853 में राजस्थान के लूनकरण (बीकानेर) गांव के चौधरी नानका राम अपने परिवार सहित 1850 में अंग्रेजों से 2800 एकड़ जमीन ली, जिसपर मंडी हरजी राम इलाका बसा हुआ है। सिरसा के पास गांव ओड़ा में लीज पर लिया गया था। चौधरी नानक राम ने अपने तीन बेटों सरदार राम, नारायण राम और हरजी राम के बीच 2800 एकड़ भूमि को विभाजित करके खेती शुरू की। चौधरी परिवार 1833 से 19वीं सदी की शुरुआत तक मलोट में रहा। इस बीच अंग्रेजों ने 20 मील पर रेलवे स्टेशन बनाने का फैसला किया।

उस समय के नियमों के अनुसार, एक वाणिज्यिक स्टेशन के पास एक रेलवे स्टेशन बनाया गया था, जहां बाहरी लोग रह सकते हैं। इसके केंद्र में स्कूलों, विश्राम गृह और धार्मिक स्थानों के लिए सुविधाएं होती थी। जब 1898 के आसपास मलोट में रेलवे स्टेशन बनाया गया था, तब तत्कालीन उपायुक्त ने चौधरी नानक राम से संपर्क किया और यहां एक शहर बनाने की योजना तैयार की गई।

उस समय बठिंडा जिला के अलग-अलग गांव सेमेवाला, कोटलीवाला और कुतियांवाली से काफी संख्या में अग्रवाल बरादरी के लोग मलोट में आकर रहने लगे। जिन्हें दुकानों और घर की सुविधाएं दी गई। उस समय मलोट राजमार्ग के पश्चिम में और रेलवे स्टेशन के उत्तर में था। मलोट में पहली तीन हवेली 1918 में चौधरी परिवार द्वारा बनाई गई थीं। इस तरह धीरे-धीरे मलोट क्षेत्र विकसित हुआ।

1919 में गांव पक्की टिब्बी के निवासी सेठ ठाकुर दास आहूजा के नेतृत्व में महाजन बिरादरी के कुछ सदस्यों ने चौधरी हरजी राम से मुलाकात की और उनके लिए भूमि का एक भूखंड खरीदने की इच्छा व्यक्त की। लेकिन कुछ कारणों के चलते यह बात पूरी नहीं हो सकी। जिसके बाद 19 जनवरी 1920 को मलोट, गिद्दड़बाहा, फाजिल्का, अबोहर और आसपास के गांवों के महाजनों ने राजमार्ग के पूर्व की ओर एक मंडी बनाने का फैसला किया। जिसके लिए 7 सदस्यों का गठन किया गया था।

उसके बाद गांव शेखू के जमींदार से 1,14,163,32 रुपये की 200 एकड़ ज़मीन खरीदी गई और उसमें दुकानें और घर बनाए गए। इस बीच 19 नवंबर 1921 को ब्रिटिश प्रिंस बली अहद एडवर्ड भारत आए थे। उसी दिन इसका नाम बदलकर एडवर्डगंज मलोट मंडी कर दिया गया हालांकि इस मंडी के निर्माण में देरी हुई लेकिन व्यावसायिक दृष्टिकोण से मलोट ने मंडी हरजी राम की तुलना में अधिक प्रगति की और 1940 तक डाकघर, टेलीफोन केंद्र, विश्राम गृह, पशु अस्पताल और श्मशान स्थल थे। जिसके कारण योजनाबद्ध तरीके से एडवर्ड गंज मंडी की योजना बनाई गई।

मलोट का इतिहास (Malout WIkipedia Hindi)


मलोट (Malout) के इतिहास के बारे में तो आपको पता चल ही गया है कि कब और कैसे मलोट शहर विकसित हुआ है। एक बात जो आपको पहले बताना रह गया था कि मलोट वर्तमान में जिला श्री मुक्तसर साहिब की एक तहसील है। लेकिन पहले मलोट जिला फिरोजपुर में आता था। इसलिए अब मलोट की अहमियत कुछ ओर भी बढ़ गई है क्योकि जिले में मलोट की जनसंख्या सबसे ज्यादा है।

मलोट (Malout) में शिक्षा के लिए भी बहुत बढ़िया संस्थान है। जिनमें सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज Malout institute of Management and Information Technology (MIMIT) है। जिसमें पंजाब ही नहीं बल्कि बाहर से भी विद्यार्थी इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के लिए आते हैं। इसके अलावा एक प्राइवेट इंजनीयरिंग कॉलेज Guru Teg Bahadur Khalsa Institute of Engineering and Technology भी है।

इसके अलावा मलोट में कई स्कूल कॉलेज भी हैं, जिनमें विद्यार्थी अच्छी पढ़ाई कर देश और विदेश में मलोट शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। लेकिन सबसे ज्यादा चर्चित और प्रसिद्ध संस्थान GTB School, Dav School, College and Sd School हैं। जो शहर की शान हैं।

अंतिम शब्द


दोस्तों, अब आप मलोट के इतिहास (History of Malout in Hindi) के बारे में जान ही गए हैं। अगर आपने भी अभी तक मलोट का दौरा नहीं किया है तो एक बार मलोट जरूर देखें ताकि बताए गए अनुसार आप मलोट का अवलोकन कर सकें।

उम्मीद करते हैं कि आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आएगी। आप इस पोस्ट संबंधी हमें कॉमेंट करके बता सकते हैं या अपने विचार देने के लिए भी कॉमेंट कर सकते हैं। धन्यवाद

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