हीर-रांझा के प्यार की कहानी Heer Ranjha True Love Story In Hindi - Wikipedia Hindi

Share:


Heer Ranjha True Love Story In Hindi
हीर-रांझा के प्यार की कहानी

अगर कहीं भी सच्चे प्यार का नाम लिया जाता हैं, वहां सबसे पहले हीर-रांझा की सच्ची प्रेम कहानी जरूर सुनाई जाती है। क्योंकि कहानी चाहे सालों पुरानी हो, लेकिन आज भी हर लड़का अपनी प्रेमिका को हीर और लड़की अपने प्रेमी को रांझा कहकर बुलाती है। चाहे आज के प्यार में पहले जैसा रंग न रहा हो। लेकिन फिर भी प्यार तो प्यार होता है। अगर आज भी हीर-रांझा के प्रेम की कहानी को पढ़ा जाए तो सच्चे प्यार की कदर पता चलती है कि प्यार क्या होता। इसी लिए हम आज हीर-रांझा के सच्चे प्यार की कहानी बताने जा रहे हैं.....

हीर-रांझा के प्यार की कहानी Heer Ranjha True Love Story In Hindi


रांझा पाकिस्तान के चनाब नदी के किनारे बसे गांव तख्त हजारा के एक रांझा उपजाति के वाले जाट परिवार में जन्मा था। वह परिवार में चार भाईयों में सबसे छोटा था। इसलिए उसके पिता उसे बहुत ज्यादा प्यार करते थे। रांझा बचपन से ही आशिकी मिजाज वाला था। उसके भाई खेत में काम करते थे, तो रांझा बांसुरी बजाते रहता था। कोई काम धंधा नहीं करता था। इसलिए उसकी भाभियां उसके नफरत करती थी और अपने पतियों को रांझें के खिलाफ बोलती रहती थी।



रांझा को बचपन से ही सपने आते थे, जिसमें एक हसीना की तस्वीर उसकी आंखों में रची रहती थी। उसकी धुन में भी रांझा सारा दिन बांसुरी बजाता रहता। वो सारा दिन पेड़ों के नीचे बैठा बांसुरी बजाता रहता और उस हसीना के बारे में सोचता रहता था। एक दिन रांझा की बांसुरी की अवाज सुनकर एक फकीर उसके पास आया, जब उसने रांझा से इतनी मधुर बांसुरी बजाने का कारण पूछा तो रांझा ने अपने सपने वाली बात उन्हें बताई, तो उस फकीर ने रांझा को कहा कि तुम्हारे सपनों की शहजादी तो हीर के अलावा ओर कोई नहीं हो सकती। ये सुनकर रांझा मन ही मन में हीर पर मोहित हो गया।

रांझा का असल नाम धीदो था और रांझा उसकी उपजाति थी। इसलिए सभी उसे रांझा कहकर बुलाने लगे। 12 साल की उम्र में रांझा के पिता की देहांत हो गया। उसके बाद से रांझा के भाई-भाभियां जमीन को लेकर उसके साथ बुरा बर्ताव करने लगे। इसी से दुखी होकर रांझा ने घर छोड़ दिया और हीर की तालाश में निकल पड़ा। काफी दिन चलने के बाद वह हीर के गांव झंग में पहुंचा।



हीर पाकिस्तान के पंजाब झंग शहर में सियाल उपजाति के एक अमीर परिवार में पैदा हुई थी। हीर बचपन से इतनी सुंदर थी कि अगर उसे कोई एक बार देख लेता तो उसका दिवाना हो जाता था। हीर की सुंदरता के आसपास के क्षेत्रों में बहुत चर्चें थे। रांझा भी किसी से कम नहीं था। वो भी बहुत सुंदर था। हीर के पिता ने रांझा को अपने घर में मवेशियों को चराने के लिए नौकरी पर रख लिया।




एक दिन हीर को उसकी सहेलियों ने कहा कि तुम्हारे बाग में कोई अजनबी सोया हुआ है। हीर को यह सुनकर गुस्सा आया और वह तूत की छमक लेकर बाग में पहुंची और सोए हुए रांझा पर छमक से वार कर दिया। जब सोए हुए रांझा ने उठकर हीर की तरफ देख तो उन्हें पहली नजर में ही एक-दूसरे से प्यार हो गया। रांझा मवेशियों को चराते समय बांसुरी बजाता तो हीर मंत्रमुग्ध हो जाती और रांझा के प्यार में दिवानी हो गई। रांझा ने 12 साल तक हीर के पिता चूचक के यहां नौकरी की। इस बीच हीर-रांझा चोरी छुपे मिलते रहे।



एक दिन हीर के चाचा कैदो ने दोनों को एक साथ देख लिया और इस बात की सूचना हीर के पिता चूचक व उसकी मां मलकी को दे दी। हीर के पिता चूचक को ये सुनकर बहुत गुस्सा आता है और वो रांझा को नौकरी से निकाल देता है। हीर का चाचा कैदो उसकी पिता चूचक और माता मलकी को मनवाकर हीर की शादी एक सैदा खेड़ा नाम के आदमी से कर देते हैं। जब इस बात की खबर रांझा को पता चली तो उसका दिल टूट गया। वह ग्रामीण इलाकों में अकेला दर-दर भटकता रहता है।

एक दिन रांझा को जोगी गोरखनाथ की टोली मिला। गोरख नाथ जोगी कानफटा समुदाय से था और उनके सानिध्य में रांझा भी जोगी बन गया। रांझा ने भी कान छिद्वा कर और भौतिक संसार त्याग दिया। अब रांझा जोगियों के साथ-साथ दर-दर पर मांग कर रब का नाम लेने लगा। एक दिन घूमते हुए रांझा हीर के ससुराल के घर पहुंचा। जहां जब रांझा ने दरबाजा खटखटाया तो दरवाजा हीर की ननान सहती ने खोला। वो हीर और रांझा के प्यार के बारे में पहले से ही जानती थी। वो अपने भाई की अनैच्छिक शादी के विरोध में थी।



सहती ने हीर और रांझा को भागने में मदद की। हीर और रांझा वहां से भाग गए, लेकिन उनको राजा ने पकड़ लिया। राजा ने उनकी पूरी कहानी सुनी और मामले को सुलझाने के लिए काजी के पास लेकर गया। हीर ने अपने प्यार की परीक्षा देने के लिए आग पर हाथ रख दिया। राजा उनके असीम प्रेम को समझ गया और उन्हें छोड़ दिया। वह दोनों वहां से हीर के गांव गए और उसके माता-पिता भी निकाह के लिए राजी हो गए। शादी के दिन हीर के चाचा कैदो ने हीर के खाने में जहर मिला दिया ताकि यह शादी रुक जाए। यह सूचना जैसे ही रांझा को मिली वह दौड़ता हुआ हीर के पास पहुंचा। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हीर ने वो खाना खा लिया था, जिसमें जहर मिला था और उसकी मौत हो गई। रांझा भी अपने प्यार की मौत से के दुख को झेल नहीं पाया और उसने भी वो जहर वाला खाना खा लिया और उसकी भी हीर के साथ ही मौत हो गई। उन्हें हीर के शहर झंग में दफनाया गया और आज उनकी मजार पर आकर लोग उन्हें याद करते हैं।

दाेस्ताें ये है हीर-रांझा के सच्चे प्रेम की कहानी। हम हर रोज ऐसी ही कहानियां लेकर आते हैं। इसलिए पढ़ते रहें विकिपीडिया हिंदी


No comments