Court Marriage क्या है? कोर्ट मेरिज कैसे करें? - Wikipedia Hindi

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Court Marriage - नमस्कार दोस्तों 'विकिपीडिया हिंदी' में आपका स्वागत है। कोर्ट मेरिज क्या है? और कोर्ट मेरिज कैसे करें? ये सवाल इन दिनों लोगों द्वारा बहुत ज्यादा Google पर सर्च किया जा रहा है। क्योंकि कोरोना वायरस के कारण इन दिनों भारत में शादियां करने का तरीका एकदम से बदल गया है, जहां पहले विवाह में 100 - 200 लोग इकट्ठा होते थे वही आज कल 20 से 30 के साथ ही शादी संपन्न हो जाती है। इसी लिए लोग कोर्ट मेरिज का रास्ता अपनाते हैं और ज्यादा खर्च से भी बच जाते हैं।


भारत में हर धर्म के लोग रहते हैं। इसलिए यहां अलग-अलग तरीकों से शादियां की जाती है। हर धर्म में शादी करने का तरीका भी अलग-अलग होता है। जैसे हिंदु सात फेरे लेकर शादी करते हैं, मुस्लिम निकाह करते हैं, सिख श्री गुरू ग्रंथ साहिब के समक्ष फेरे लेकर शादी करते हैं और क्रिस्चिन चर्च में शादी करते हैं। ऐसे में एक कोर्ट मेरिज होती है, जिसे आप बिना किसी बिना किसी दिक्कत के कानूनन तरीके से कर सकते हैं।



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आजकल नई पीढ़ी के युवा कोर्ट मेरिज की ओर ज्यादा आकर्षित होते हैं। ऐसे में अगर आप भी कोर्ट मेरिज करना चाहते हैं तो आपको कोर्ट मैरिज के सभी नियमों और उसकी पूरी जानकारी होनी चाहिए। आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज के नियम क्या है? कोर्ट मैरिज के लिए किन डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है? कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाहों की जरूरत होती है? कोर्ट मैरिज की कानूनी प्रक्रिया क्या है? कोर्ट मैरिज के लिए कितनी फीस लगती है? इस संबंधी पूरी जानकारी देंगे और वो भी हिंदी में...


कोर्ट मैरिज क्या है (What is Court Marriage)



कोर्ट मेरिज कानूनी विवाह को कहा जाता है। जो कोर्ट में की जाती है। अगर साधारन शब्दों में कहें तो दो बालिग लड़का-लड़की बिना किसी झंझट के कोर्ट में जाकर पति-पत्नी के बंधन में बंध सकते हैं। कोर्ट मेरिज करवाने के लिए जितना लड़का-लड़की होने जरूरी हैं, उतना ही कोर्ट मेरिज के लिए गवाह भी जरूरी होता है। इसलिए आपको कोर्ट मेरिज करवाने के लिए गवाह साथ लेकर जाना होता है।

आज हम बात करेंगे कि कोर्ट मेरिज क्या है? और कोर्ट मेरिज कैसे करें? पूरी जानकारी हिंदी में


कोर्ट मैरिज के नियम क्या है? (Rules of Court Marriage)


■  कोर्ट मेरिज करने वाले लड़का-लड़की बालिग होने चाहिए मतलब लड़के की उम्र 21 साल और लड़की की उम्र 18 साल होनी अनिवार्य है।

■ कोर्ट मेरिज करने वाले लड़का-लड़की की पहले से कोई शादी नहीं की होनी चाहिए।

■ अगर किसी लड़के या लड़की की पहले शादी की है और वो कोर्ट मेरिज करना चाहता है तो उसका पहला पति या पत्नी जीवित न हो या फिर तालाक हो। तो ही आप कोर्ट मेरिज कर सकते हैं।

■ कोर्ट मेरिज करने वाले दोनों पक्षों की सहमति होनी चाहिए। दोनों लड़का-लड़की स्वैइच्छा से शादी कर रहे हों। 

■ कोर्ट मेरिज करने वाले जोड़े की मानसिक हालत ठीक होनी चाहिए, वो खुद फैसलें ले सकनें के सक्षम हों।

■ दोनों लड़का-लड़की संतान के लिए शारीरिक तौर पर योग्य होने चाहिए।

■ कोर्ट मेरिज करवाने वाले लड़का-लड़की निषिद्ध संबंधों की सीमा से बाहर नहीं होने चाहिए मतलब भाई-बहन निषिद्ध अनुसूची में आते हैं या सगोत्री विवाह नहीं हो सकता।




कोर्ट मेरिज के लिए जरूरी डॉक्यूमेंट्स (Require Documents For Court Marriage)


अगर कोई लड़का-लड़की कोर्ट मैरिज करना चाहता है तो सबसे पहले लड़का-लड़की का बालिग होना बेहद जरूरी है। जिसके अनुसार लड़की की उम्र 18 साल और लड़के की उम्र 21 साल होनी चाहिए। कोर्ट मैरिज करने के लिए कपल के मात्र 3 दस्तावेजों की जरूरत पड़ती है जो लड़का और लड़की दोनों के अपने-अपने होने चाहिए, तभी कोर्ट मैरिज संभव है। तो आईए जानते हैं कि कोर्ट मेरिज के लिए क्या-क्या डॉक्यूमेंटस होने चाहिए।


■ कोर्ट मेरिज करवाने वाले लड़का-लड़की के बालिग होने का प्रमाण यानि आधार कार्ड, वोर्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, दसवीं कक्षा की मार्कशीट आदि।

■ माता-पिता की सहमति पत्र, जिसमें उनके हस्ताक्षर व उनकी आइडी की कॉपी होनी चाहिए।

■ 3 स्वतंत्र गवाह, जो आपको जानते हों और गवाही देकर हस्ताक्षकर कर सकें।

■ लड़का लड़की के स्वयं घोषणा पत्र और शपथ पत्र, जिसका प्रारूप स्थानीय कोर्ट या रजिस्टर अथॉरिटी के पास उपलब्ध होता है।

■ कोर्ट मेरिज करने के लिए आपके पास निवास प्रमाण पत्र होना जरूरी है। जिसके लिए आपका आधार कार्ड एकदम अनिवार्य है।

■ कोर्ट मेरिज के इन दस्तावेजों के साथ-साथ आपकी अपनी फोटो भी होनी चाहिए, जिसमें 6 लड़के और 6 लड़की के पासपोर्ट साइज फोटो होने चाहिए।




कोर्ट मेरिज के लिए गवाही देने वाले व्यक्ति के डॉक्यूमेंटस (Documents for The Witness)



कोर्ट मेरिज करने के लिए जितना एक लड़का-लड़की का होना जरूरी होता है। उतना ही 2 या 3 गवाह होने भी जरूरी हैं, जो आपको जानते हों और कोर्ट में मजिस्ट्रेट के सामने गवाही दे सके। अब अगर आपने गवाह तो साथ ले लिए, लेकिन आपको पता होना चाहिए कि गवाह के लिए डॉक्यमेंट होने जरूरी हैं तो ही आपकी कोर्ट मेरिज होगी।


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कोर्ट मेरिज में गवाही देने वाले गवाह के उसके डॉक्यमेंट जैसे आधार कार्ड, वोटर कार्ड होना बहुत जरूरी है। तो ही वो आपकी कोर्ट मेरिज में गवाही दे सकते हैं।  जहां पर एक बात क्लियर कर देना चाहते हैं कि कोर्ट मेरिज गवाह के बिना असंभव है। ऐसे में गवाह के बिना कोर्ट मेरिज होना असंभव है।

कई लोग कोर्ट मेरिज घर वालों के खिलाफ जाकर करवाते हैं, ऐसे में उनके पास गवाह के रूप में घर से कोई नहीं होता है। तो भी आपका कोई दोस्त या रिश्तेदार या फिर कोई सगी संबंधी कोई भी आपके कोर्ट में गवाही दे सकता है। लेकिन दोनों गवाह बालिग होने चाहिए।



कोर्ट मेरिज की कानूनी प्रक्रिया (Legal Process For Court Marriage)



कोर्ट मेरिज के लिए कानूनी प्रक्रिया पूरी करनी बहुत जरूरी होती है। तभी आप जान सकेंगे कि कोर्ट मेरिज के लिए क्या बातें और शर्तें जरूरी है। इसमें क्या कर सकते हैं क्या नहीं कर सकते हैं। इन सभी सवालों के जवाब जानने के लिए जानते हैं कोर्ट मेरिज की कानूनी प्रक्रिया....

नोटिस का पब्लिकेशन - संबंधित रजिस्ट्रार इस नोटिस की एक कॉपी अपने कार्यालय के नोटिस बोर्ड पर लगाता है।

शादी की आपत्ति - अगर शादी में किसी को आपत्ति है तो वह उक्त नोटिस के पब्लिकेशन के 30 दिन के अंदर रजिस्ट्रार के सामने आपत्ति पेश कर सकता है। अगर रजिस्ट्रार को लगता है कि आपत्ति जायज है तो शादी की प्रक्रिया खत्म कर सकता है। अगर वह आपत्ति गलत पाता है तो शादी प्रक्रिया आगे बढ़ाकर उसे रजिस्टर कर देता है। रजिस्ट्रार द्वारा आपत्ति को स्वीकार करने के खिलाफ जिला न्यायलय में अपील की जा सकती है।

घोषणा पत्र - कोर्ट मेरिज से पहले लड़का-लड़की और गवाहों को रजिस्ट्रार के सामने एक घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर करने होते हैं कि शादी बिना किसी दबाव में उनकी मर्जी से हो रही है।

शादी की जगह - सेक्शन 12 के मुताबिक कोर्ट मेरिज रजिस्ट्रार के कार्यालय में या उसके पास किसी जगह पर हो सकती है। इसके लिए फीस जमा करना जरूरी होता है।

कोर्ट मेरिज सर्टिफिकेट - एक बार कोर्ट मेरिज के नियमों के मुताबिक शादी संपन्न होने के बाद रजिस्ट्रार सभी डिटेल भरकर मेरिज सर्टिफिकेट जारी कर देता है।


नोट.. यहां पर एक बात बताना चाहते हैं कि अगर लड़का-लड़की नोटिस पब्लिकेशन के 3 महीने के अंदर शादी नहीं कर पाते हैं तो उन्हें दोबारा से नोटिस देना पड़ेगा।



कोर्ट मेरिज की फीस (Fees For Court Marriage)



हिंदू विवाह अधिनियम के तहत सरकार आवेदन के लिए 100 रूपए फीस लेती है। वहीं विशेष विवाह कानून में आवेदन की फीस 150 रूपए होती है। इसके अलावा लोग आवेदन के साथ जमा करने के लिए जरूरी एफीडेविट पर 400-500 रूपए खर्च भी करते हैं। इससे ज्यादा आपका एक पैसा भी नहीं लगेगा और आप कानूनन तौर पर पत्नी-पत्नी के बंधन में बंध जाएंगे।


■ निष्कर्ष


दोस्तों विकिपीडिया हिंदी पर आपको इस पोस्ट में कोर्ट मैरिज क्या है? कोर्ट मैरिज के नियम क्या है? कोर्ट मैरिज के लिए किन डॉक्यूमेंट की जरूरत होती है? कोर्ट मैरिज के लिए कितने गवाहों की जरूरत होती है? कोर्ट मैरिज की कानूनी प्रक्रिया क्या है? कोर्ट मैरिज के लिए कितनी फीस लगती है? इस संबंधी पूरी जानकारी मिल गई है और वो भी हिंदी में...

उम्मीद करते हैं कि कोर्ट मेरिज से संबंधी आपको पूरी जानकारी मिल गई होगी। अब आपके मन में कोर्ट मेरिज संबंधी कोई सवाल नहीं रहा होगा। आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी कैसे लगी कॉमेंट करके जरूर बताएं...




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