पुराने समय की बात है। एक राज्य था। जहां के राजा के आसपास के सभी राज्यों से अच्छे संबंध थे यानी सभी राजा उसके अच्छे मित्र थे। उसका सभी के यहां आना जाना लगातार लगा रहता था। इसलिए सभी राजा उनके यहां कुछ न कुछ भेजते रहते थे।
कभी कोई राजा उपहार में सोना-चांदी के जेवरात भेजते, कभी खाने को कुछ या कभी वस्त्र स्वरूप गिफ्ट भेजते रहते थे। उनके दरबार में एक बार विदेशी मेहमान आया और उसने जाते समय राजा की मेहमान नवाजी से खुश होकर राजा को एक पत्थर उपहार दिया। राजा को वो पत्थर बहुत ही पसंद आया।
राजा ने अपने मंत्री को बुलाया और उसे पत्थर दिखाते हुए हुकम दिया कि इस पत्थर की अच्छी से मूर्ति बनवाकर राज्य के राजमंदिर में लगवाई जाए। मंत्री ने राजा का हुकम पाकर पत्थर लिया और उसकी मूर्ति बनवाने के लिए राज्य के एक कारीगर के पास गया।
मंत्री उस कारीगर को पत्थर देते हुए कहता है कि इस पत्थर की अच्छी सी मूर्ती बनवानी है। जिसपर कार्रवाई कहता है कि हजूर बना देंगे। मंत्री उस कारीगर को कहता है कि 10 दिन में मूर्ति बनाने का काम पूरा कर दो, इसके बदले में तुम्हे जो चाहिए मिलेगा और साथ ही सोने की मोहरे भी दी जाएगी। यह सुनकर कारीगर बहुत खुश हो जाता है और वो अपनी पत्थर को लेकर काम शुरू कर देते हैं।
जब कारीगर पत्थर को तोड़ने के लिए चोट मारता है तो वह पत्थर नहीं टूटा। कारीगर ने एक के बाद एक 50 से ज्यादा चोट मारे। लेकिन पत्थर नहीं टूटा। जिससे कारीगर मायूस हो जाता है और कहता है कि ये काम मुझसे नहीं होगा। इतनी चोट खाने पर भी पत्थर नहीं टूटा अब क्या खाक टूटेगा। वह मंत्री के पास जाता है और उसे पत्थर देकर कहता है कि ये पत्थर नही टूट रहा। इससे मूर्ति नही बन सकती।
लेकिन मंत्री को तो किसी भी हाल में मूर्ति बनवानी थी क्योंकि उसे राजा का हुकम था। इसलिए मंत्री उस पत्थर को लेकर दूसरे एक साधारण कारीगर के पास जाता है और उसे पत्थर की मूर्ति बनाने के लिए कहता है। वो कारीगर पत्थर लेकर जैसे ही एक चोट मारता है तो वह पत्थर टूट गया और कारीगर ने उस पत्थर की मूर्ति बनाकर मंत्री को दे दी। मंत्री खुश हो जाता है और ईनाम की मोहरे कारीगर को दे देता है।
मंत्री सोचता है कि अगर उस पहले वाले कारीगर ने एक बार अंतिम प्रयास किया होता तो ये सोने की मोहरे उसकी होती। यह कहानी हमें सिखाती है कि हम बहुत मेहनत करते हैं, लेकिन फिर भी काम को अधूरा छोड़ देते हैं। यह सोच कर कि अब हम से नहीं होगा। यह काम शायद मेरे लिए नहीं बना है। यह मेरी किस्मत में ही नहीं है। इसलिए मुझसे नही होगा।
असल में आपको बस एक अंतिम प्रयास की जरूरत है। थोड़ी सी मेहनत ओर करने की जरूरत है। थोड़ा सा पैशन ओर रखने की जरूरत है। शायद आप जिस वक्त उस काम को छोड़ रहे हो, उसके अगले ही बार वह काम हो जाए। लेकिन हम उसे छोड़ देते हैं, अपने सपनों को छोड़ देते हैं, अपनी जीत को छोड़ देते हैं।
क्या आपको पता है थॉमस एडिसन ने बल्ब बनाने से पहले नाइन थाउंसेंड नाइन हंडरेड नाइंटी नाइन टाइम अनसक्सेसफुल अटेम्प्ट किया था। ये बहुत ही बड़ा नंबर है। उसके बाद जाकर वह सक्सेसफुल रहे और जब उनसे पूछा गया कि इतनी बार हारने पर वह मयूस नहीं हुए। उन्होंने हार नहीं मानी और अपना काम नहीं छोड़ा तो उन्होंने एक ही जवाब दिया कि मुझे उन अनसक्सेसफुल अटेम्प्ट से पता चला कि इतने तरीके हैं जिनसे मुझे सफलता नहीं मिलेगी तो मुझे इन्हें दोहराना नहीं। मेरे लिए यह अनसक्सेसफुल अटेम्पट नहीं थे, मेरी हार नहीं थी। यह मुझे सही चीज दिखाने का तरीका था।
दोस्तों यह कहानी भी आपको यही सिखा रही है कि अगर कुछ समय तक आपका काम नहीं हुआ। इसका मतलब यह नहीं कि आप रुक जाएं या हार मान ले क्योंकि मेहनत अपना असर जरूर दिखाती है। किसी को जल्दी और किसी को देर से, अपना असर जरूर दिखाती है। तो हारो मत बस मेहनत करते रहो। नए-नए तरीके ढूंढते रहो। जिससे आपका काम आसान हो जाए। जिससे आपको आपके गोल्स मिल जाए। जिससे आप सबसे सफल हो जाए क्योंकि अगर तुम रुक गए तो वह जो सोने की मोहर हैं वह कोई और ले जाएगा।
उम्मीद करते हैं कि आपको ये कहानी बहुत मोटिवेट करेगी। ऐसे में मोटिवेशनल वीडियो देखने के लिए हमारे चैनल को भी जल्दी से सब्सक्राइक कर दें।
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