अबोहर का इतिहास History Of Abohar - Wikipedia Hindi
अबोहर (Abohar). अबोहर पंजाब के फाजिल्का जिले का एक ऐतिहासिक शहर हैं। पहले यह फिरोजपुर जिले में शामिल था। लेकिन बाद में फाजिल्का जिला बनने के बाद अबोहर को फाजिल्का जिला लगने लगा। अबोहर एक तसहील है। अबोहर पंजाब का एक ऐसा शहर है, जिसकी सीमाएं तीन राज्यों को लगती हैं। जिसके कारण अबोहर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संस्कृति, जातीयता और सभ्यता की त्रिमूर्ति के रूप में एक प्रसिद्ध शहर माना जाता हैं। इसके साथ ही अबोहर को किन्नू फल के उत्पादन के लिए पंजाब का कैलिफोर्निया भी कहा जाता है।
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अबोहर का इतिहास History Of Abohar - Wikipedia Hindi
अबोहर अपने इतिहास के लिए भी जाना जाता हैं और पांचपीरों की मजार के कारण भी इसकी प्रसिद्धी जग जाहर है। 1893 में प्राचीन शहर अबुनगरी के अवशेषों के नीचे, इस जगह को कैसर गंज के नाम से जाना जाता था। अबोहर शहर का इतिहास एक किंवदंती पर आधारित है। बुजुर्गों के अनुसार अबोहर शहर का निर्माण एक सूर्यवंशी राजा आबू चांदनी द्वारा किया गया था। राजा आबू चांदनी के कारण ही इस पहले आबू नगरी के नाम से जाना जाता था।
इसके साथ ही अबोहर के बाहर पांचपीर का टिब्बा भी स्थित हैं, जहां पर पांचपीरों की मजार हैं। पांचपीरों की मजार पर हर साल सलाना मेला लगता हैं, यहां पंजाब के अलावा दूसरे राज्य से भी श्रद्धालु माथा टेकने के लिए आते हैं। बताया जाता है कि राजा के कुष्ठ रोग होने हकीमों ने उसे मुल्तान के पांच पीरों के खून से ठीक होने का भ्रम डाल दिया। जिसपर राजा की बेटी द्वारा छल से पांच पीरों के घोड़े छीनकर लाए गए। लेकिन घोड़ो का पीछा करते हुए पांच पीर भी आबू नगरी आ गए और यहीं पर डेरा डाल दिया। बुजुर्गों और इतिहास के अनुसार जब पांचपीरों को अपने घोड़े नहीं मिले तो पांचों पीर क्रोधित हो गए और अपनी दिव्य शक्तियों के साथ आबू नगरी को नष्ट कर दिया।
इसके बाद से उस रेत के टीले, यहां पर पांचपीरों ने डेरा डाला हुआ था, वहां पर पांचों पीरों की मजार बनाई गई। जिसके बाद से धीरे-धीरे से एक बार फिर से आबू नगरी आबाद होने लगी। आज भी पांचपीरों की मजार के लिए अबोहर वासियों की श्रद्धा और विश्वास ज्यों की त्यों कायम है। अबोहर शहर भारत की आजादी के समय हुए हिंदू-मुस्लिम दंगों का भी गवाह है। कारण, अबोहर दिल्ली और बहावलपुर के साथ आखिरी मुख्य शहर है और इसके एक सीमा पाकिस्तान के साथ भी सटी हुई है।
अबोहर का भूगोल Geography of Abohar - Wikipedia Hindi
अबोहर श्रीगंगानगर-बठिंडा रेलवे मार्ग पर बसा हुआ शहर हैं। अबोहर पंजाब का एक मात्र ऐसा शहर है, जिसकी सीमाएं एक तरफ राजस्थान के टीलों को और दूसरी तरफ हरियाणा के विमानों को छूती है। अबोहर के साथ ही पाकिस्तान की सीमा भी स्थित है।
अबोहर की जनसंख्या Abohar Population - Wikipedia Hindi
अगर बात की जाए अबोहर की जनसंख्या की तो 2011 में हुए जनगणना के अनुसार अबोहर की जनसंख्या 211,000 हैं। अभी 2021 में फिर से जनगणना होने जा रही है।
अबोहर की अर्थव्यवस्था Abohar's Economy - Wikipedia Hindi
अबोहर शहर में हर तरह के लोग रहते हैं। जैसे कि, बड़े उद्योगपति, बॉलीवुड स्टार, मिडल कैटेगिरी और लो कैटेगिरी के लोग। जिसके कारण अबोहर की अर्थव्यवस्था उद्योगों और मिलों पर आधारित है। अबोहर में कपास उद्योग, घी और परिष्कृत उद्योग हैं। यहां के लोग कृषि पर निर्भर हैं। जिनमें से सबसे ज्यादा गेंहू और किन्नू का उत्पादन किया जाता है। अब धान की बिजाई भी काफी क्षेत्र में होने लगी है।
अबोहर का परिवहन Abohar Transport - Wikipedia Hindi
जैसे कि पहले ही बताया गया है, कि अबोहर श्रीगंगानगर-बठिंडा रेलवे मार्ग पर स्थित हैं। इसलिए यहां के लोग ज्यादा पर ट्रेनों पर निर्भर हैं। इसके अलावा यहां पर बसों का भी अच्छी प्रबंध है, जो यहां से दिल्ली, जम्मू कशमीर, हिमाचल, राजस्थान, हरियाणा व दूसरे राज्यों तक सफर करवाती हैं।
अबोहर में घूमने योग्य स्थान Places to visit in Abohar - Wikipedia Hindi
अबोहर में जहां अपने इतिहास के लिए जाना जाता है, तो वहीं यहां पर शानदार पर्यटन स्थल भी हैं। जहां पर लोग घूमने के लिए आ सकते हैं। पर्यटकों के लिए सबसे अच्छी बात यह हैं कि अबोहर में पंजाब, हरियाणा और राजस्थान की संस्कृति व सभ्यता का खूबसूरत मिश्रण देखने को मिलेगा। तो आईए जानते हैं कुछ पर्यटक स्थलों के बारे में........
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अबोहर का नाम अगर आज पंजाब व भारत में कहीं लिया जाता है, तो उसके पीछे सबसे पहला कारण अबोहर में स्थित पांचपीरों की मजार है। अबोहर के बाहर ऊंचे टिल्ले पर बनी हुई दरगाह में हर साल सावन के महीने मेला लगता है, यहां पर अबोहर व आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं। पांचपीरों की मजार अबोहर के पवित्र स्थलों में गिनी जाती हैं। यहां श्रद्धालु आकर पवित्र स्थल के गोल-गोल चक्कर लगाते हैं। यह पांचपीरों की दरगाह यहां के लोगों की धार्मिक आस्था से गहराई से जुड़ी हुई हैं। यहां की सबसे खास बात यह हैं, कि पांचपीरों की मजार पर सेवा करने वाला हिंदू परिवार हैं। इसी लिए यहां हर धर्म के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
अबोहर में पांचपीरों की मजार के बाद दूसरा नाम आता है, जंगली जीवों की ओपन सेंच्युरी का। जी हां, अबोहर में बिश्नोई समाज के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। इसी लिए यहां रेतले टिल्ले होने के कारण अबोहर में काला हिरण, नीलगाय व अन्य वन्य जीवों की संख्या भी काफी मात्रा हैं। बिश्नोई समाज द्वारा काले हिरण व नीलगाय की सुरक्षा के लिए यहां पर सरकार के खास प्रोजैक्ट से ओपन सेंच्युरी बना दी। जिससे अबोहर की सुंदरता को ओर चार चांद लग गए। बिश्नोई समाज द्वारा भी जंगली जीवों की रक्षा के लिए बहुत सारे उपराले किए जाते रहते हैं। आज अबोहर की ओपन सेंच्युरी ऐशिया की गिनी चुनी ओपन सेंच्युरी में शामिल हैं। यहां पर बड़ी संख्या में काले हिरण, नीलगाय व अन्य वन्य जीव रहते हैं।
1. पांच पीरों की मजार Panj Peer Dargah - Wikipedia Hindi
अबोहर का नाम अगर आज पंजाब व भारत में कहीं लिया जाता है, तो उसके पीछे सबसे पहला कारण अबोहर में स्थित पांचपीरों की मजार है। अबोहर के बाहर ऊंचे टिल्ले पर बनी हुई दरगाह में हर साल सावन के महीने मेला लगता है, यहां पर अबोहर व आसपास के क्षेत्रों से श्रद्धालु नतमस्तक होने के लिए पहुंचते हैं। पांचपीरों की मजार अबोहर के पवित्र स्थलों में गिनी जाती हैं। यहां श्रद्धालु आकर पवित्र स्थल के गोल-गोल चक्कर लगाते हैं। यह पांचपीरों की दरगाह यहां के लोगों की धार्मिक आस्था से गहराई से जुड़ी हुई हैं। यहां की सबसे खास बात यह हैं, कि पांचपीरों की मजार पर सेवा करने वाला हिंदू परिवार हैं। इसी लिए यहां हर धर्म के लोग बड़ी संख्या में पहुंचते हैं।
2. जंगली जीवों की ओपन सेंच्युरी Wild Animals Open Century - Wikipedia Hindi
अबोहर में पांचपीरों की मजार के बाद दूसरा नाम आता है, जंगली जीवों की ओपन सेंच्युरी का। जी हां, अबोहर में बिश्नोई समाज के लोगों की संख्या काफी ज्यादा है। इसी लिए यहां रेतले टिल्ले होने के कारण अबोहर में काला हिरण, नीलगाय व अन्य वन्य जीवों की संख्या भी काफी मात्रा हैं। बिश्नोई समाज द्वारा काले हिरण व नीलगाय की सुरक्षा के लिए यहां पर सरकार के खास प्रोजैक्ट से ओपन सेंच्युरी बना दी। जिससे अबोहर की सुंदरता को ओर चार चांद लग गए। बिश्नोई समाज द्वारा भी जंगली जीवों की रक्षा के लिए बहुत सारे उपराले किए जाते रहते हैं। आज अबोहर की ओपन सेंच्युरी ऐशिया की गिनी चुनी ओपन सेंच्युरी में शामिल हैं। यहां पर बड़ी संख्या में काले हिरण, नीलगाय व अन्य वन्य जीव रहते हैं।
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अगर अबोहर में एक तरफ मुस्लिम धर्म के पांचपीरों की दरगाह हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अबोहर के साथ ही निकटवर्ती गांव हरीपुरा में सिख एतिहास का पवित्र गुरूद्वारा श्री बड्ड तीर्थ साहिब भी हैं। यहां पर सिख धर्म के पहले गुरू श्री गुरू नानक देव जी और दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह साहिब जी ने चरण डाले थे। गुरूद्वारा श्री बड्ड तीर्थ साहिब में एक सरोवर भी मौजूद हैं। यहा एतिहासकारों के अनुसार सिख गुरू द्वारा आगमन के दौरन उन्होंने यहां से ही अपनी प्यास बुझाई थी। बता दें कि गुरूद्वारा बड्ड तीर्थ साहिब सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जो देखने में काफी ज्यादा आकर्षक नजर आता है। जहां पर सिख धर्म के लोगों की बहुत आस्था है।
अगर अबोहर में मुस्लिम और सिख धर्म के लोगों के लिए अलग-अलग तीर्थ स्थल स्थापित हैं, तो हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी अबोहर में जोहड़ी मंदिर बना हुआ है। जोहड़ी मंदिर में हनुमान जी का वास है। जोहड़ी मंदिर एक खास धार्मिक स्थल हैं, यहां लोगों का आगमन होता हैं। जोहड़ी मंदिर में हर उम्र के लोग नतमस्तक होने के लिए आते है और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
धार्मिक स्थलों की यात्रा के बाद अगर आप थक जाते हैं तो आपकों तरोताजा करने के लिए अबोहर में नेहरू पार्क की सैर करनी चाहिए। अबोहर में नेहरू पार्क और नेहरू स्टेडियम भी बने हुए हैंं। एक यहां लोगों को तरोताजा करती हैं तो वहीं दूसरे स्टेडियम में युवा खेलकर मनाेरंजन व प्रैक्टिस करते हैं। बात करें नेहरू पार्क की यहा का हरा-भरा माहौल बहुत हद तक पर्यटकों को प्रभावित करता है। यहा के बड़े लॉन और वनस्पतिया इस पार्क को खास बनाने का काम करती हैं।
ये है अबोहर, अबोहर का इतिहास, अबोहर के बारे में जानकारी, अबोहर के पर्यटक स्थल। अगर आप भी घूमने के लिए अबोहर आ रहे हैं तो इसे एक बार जरूर पढ़े और अगर आप इसके अलावा कुछ ओर जानते हैं तो कृप्या हमें कॉमेंट करके अपनी राय जरूर दें। धन्यवाद
3. गुरूद्वारा श्री बड्ड तीर्थ साहिब Gurudwara Shri Badd Tirath Sahib - Wikipedia Hindi
अगर अबोहर में एक तरफ मुस्लिम धर्म के पांचपीरों की दरगाह हैं, तो वहीं दूसरी तरफ अबोहर के साथ ही निकटवर्ती गांव हरीपुरा में सिख एतिहास का पवित्र गुरूद्वारा श्री बड्ड तीर्थ साहिब भी हैं। यहां पर सिख धर्म के पहले गुरू श्री गुरू नानक देव जी और दसवें गुरू श्री गुरू गोबिंद सिंह साहिब जी ने चरण डाले थे। गुरूद्वारा श्री बड्ड तीर्थ साहिब में एक सरोवर भी मौजूद हैं। यहा एतिहासकारों के अनुसार सिख गुरू द्वारा आगमन के दौरन उन्होंने यहां से ही अपनी प्यास बुझाई थी। बता दें कि गुरूद्वारा बड्ड तीर्थ साहिब सफेद संगमरमर से बना हुआ है, जो देखने में काफी ज्यादा आकर्षक नजर आता है। जहां पर सिख धर्म के लोगों की बहुत आस्था है।
4. जोहड़ी मंदिर Johri Temple - Wikipedia Hindi
अगर अबोहर में मुस्लिम और सिख धर्म के लोगों के लिए अलग-अलग तीर्थ स्थल स्थापित हैं, तो हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी अबोहर में जोहड़ी मंदिर बना हुआ है। जोहड़ी मंदिर में हनुमान जी का वास है। जोहड़ी मंदिर एक खास धार्मिक स्थल हैं, यहां लोगों का आगमन होता हैं। जोहड़ी मंदिर में हर उम्र के लोग नतमस्तक होने के लिए आते है और भगवान से आशीर्वाद प्राप्त करते हैं।
5. नेहरू पार्क Nehru Park - Wikipedia Hindi
धार्मिक स्थलों की यात्रा के बाद अगर आप थक जाते हैं तो आपकों तरोताजा करने के लिए अबोहर में नेहरू पार्क की सैर करनी चाहिए। अबोहर में नेहरू पार्क और नेहरू स्टेडियम भी बने हुए हैंं। एक यहां लोगों को तरोताजा करती हैं तो वहीं दूसरे स्टेडियम में युवा खेलकर मनाेरंजन व प्रैक्टिस करते हैं। बात करें नेहरू पार्क की यहा का हरा-भरा माहौल बहुत हद तक पर्यटकों को प्रभावित करता है। यहा के बड़े लॉन और वनस्पतिया इस पार्क को खास बनाने का काम करती हैं।
ये है अबोहर, अबोहर का इतिहास, अबोहर के बारे में जानकारी, अबोहर के पर्यटक स्थल। अगर आप भी घूमने के लिए अबोहर आ रहे हैं तो इसे एक बार जरूर पढ़े और अगर आप इसके अलावा कुछ ओर जानते हैं तो कृप्या हमें कॉमेंट करके अपनी राय जरूर दें। धन्यवाद
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nyc information about abohar it's all information exactly right
ReplyDeletenyc information about Abohar it's all information exactly right ( Sachin dholia )
ReplyDeleteWikipedia m Ek ek baat shi ki hai abohar ki
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