आइसोलेशन वार्ड क्या है? कैसे होता है उपयोग - Wikipedia Hindi

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Isolation ward kya hota hai


Isolation Ward Kya Hai : कोरोना वायरस का प्रकोप दिन प्रतिदिन बढ़ रहा है, कोरोना संक्रमित व्यक्ति को आइसोलेशन वार्ड में रखा जाता है। अब इस कोरोना काल में ऐसे ऐसे शब्द लोगों के सामने आए हैं, जिनके बारे में उन्होंने कभी पहले सुना तक नहीं था। एक ऐसे ही आइसोलेशन वार्ड क्या होता है? इसका उपयोग क्या होता है? उसी के बारे में आज इस पोस्ट में बताया जा रहा है। तो आइए शुरू करते हैं.....


कोरोना वायरस की वजह से लगातार लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं और जांच पड़ताल की जा रही है। ऐसे में जो संक्रमित मरीज हैं, उन्हें बाकी लोगों से अलग रखना बेहद जरूरी हो गया है क्योंकि कोरोनावायरस एक संक्रामक रोग है, जो एक व्यक्ति से तुरंत दूसरे व्यक्ति तक पहुंचने में कुछ ही पल लेता है। ऐसे व्यक्तियों को आइसोलेशन वार्ड में रखना बेहद आवश्यक होता है, अब आइसोलेशन वार्ड होता क्या है यह सबसे बड़ा सवाल है। तो चलिए आज हम इस बात से रूबरू होते हैं कि आखिरकार आइसोलेशन वार्ड जिसे अलगाव वार्ड भी कहा जाता है आखिर वह क्या और कैसे बनाया जा सकता है या बनाया जाते हैं?



आइसोलेशन वार्ड क्या है?



इन मरीजों को "Respiratory Isolation" में रखा जाता है यानी इनके वार्ड में कोई भी बगैर N-95 रेस्पिरेटर मास्क लगाए बिना प्रवेश नहीं कर सकता। N-95 एक खास तरह का मास्क है, जो हवा में पाए जाने वाले 95 प्रतिशत बैक्टीरिया और वायरस को फिल्टर कर देता है। आइसोलेशन रूम को निगेटिव प्रेशर रूम माना जाता है, जहां मरीजों को संभालने के लिए किसी भी किस्म की अफरातफरी न हो और पर्याप्त स्टाफ हो। इस कमरे के दरवाजे हरदम बंद रहते हैं। एकदम खास तरह के इन कमरों को इस तरह से तैयार किया जाता है कि यहां की हवा बाहर नहीं जा सकती है। यहां तक कि आसपास के कमरों या कॉरिडोर में भी इस कमरे की हवा नहीं फैल सकती है। मरीजों की देखरेख करने वाला अस्पताल स्टाफ मास्क, गाउन, और आंखों पर खास किस्म का चश्मा पहनता है ताकि संक्रमण से बचा जा सके।


कब रखा जाता है मरीज को आइसोलेशन वार्ड में



रेस्पिरेटरी डिसीज से जूझ रहे हर मरीज को इस रूम में नहीं रखा जाता, बल्कि ये देखा जाता है कि मरीज के लक्षण कितने गंभीर हैं और वो सोशली कितना एक्टिव है। अगर मरीज लगातार खांस या छींक रहा है और तेज बुखार है तो उसे आइसोलेशन में तुरंत रखा जाता है। जब तक ये लक्षण सामने नहीं आते हैं, उसे पैरासीटामोल देकर घर पर ही सेल्फ क्वेरेंटाइन में रहने को कहा जाता है। इस दौरान मरीज घर पर रहता है लेकिन सबसे अलग-थलग रहता है। यहां तक कि उसका टॉयलेट, तौलिया, खाने के बर्तन, कंघी और दूसरी टॉयलेटरीज भी अलग कर दी जाती हैं।



क्वारेंटाइन और आइसोलेशन में अंतर



क्वारेंटाइन का मतलब है, किसी ऐसे व्यक्ति को अलग जगह रखा जाना, जो किसी संक्रमित मरीज के संपर्क में आ चुका हो या फिर ऐसी किसी जगह गया हो, जहां संक्रमण फैल चुका है। क्वारेंटाइन पीरियड के दौरान मरीज घर पर या सेंटर पर अलग रहता है और अपने लक्षणों पर गौर करता है।


अगर सर्दी, खांसी, बुखार जैसे लक्षण दिखाई दें तो अस्पताल में जांच होती है और फिर उसे आइसोलेशन में यानी एकदम अलग कमरे में रख दिया जाता है, जहां पूरा इलाज तब तक चलता है जब तक कि रिपोर्ट निगेटिव न आ जाए।



कैसे बनाया जाता आइसोलेशन वार्ड



● आइसोलेशन वार्ड को कुछ इस तरह डिजाइन किया जाता है कि जरूरत पड़ने पर वहां पर रखे जाने वाले संक्रमित व्यक्तियों की अच्छे से जांच-पड़ताल की जा सके।

● आइसोलेशन वार्ड मुख्य रूप से अस्पतालों से दूर बनाए जाते हैं ताकि वहां पर रहने वाले संक्रमित मरीजों का प्रभाव अस्पताल में आने जाने वाले और सामान्य बीमारी के इलाज कराने वाले व्यक्तियों पर ना पड़े।


● आइसोलेशन यूनिट में कुछ महत्वपूर्ण कर्मचारियों और डॉक्टर्स को ही जाने की अनुमति दी जाती है।


● आइसोलेशन वार्ड में संक्रमित व्यक्तियों को पूरी तरह से जांच पड़ताल किया जा सके इस बात के लिए सभी प्रकार की मशीनें वहां पर उपलब्ध की जाती हैं।


● यह आइसोलेशन वार्ड पूरी तरह से बंद और सुरक्षित बनाए जाते हैं ताकि वहां पर रहने वाले संक्रमित व्यक्ति का संक्रमण वहां से बाहर ना निकल सकें।


● बहुत बड़ी-बड़ी महामारी और गंभीर परिस्थितियों के लिए ही यह विभिन्न प्रकार के आइसोलेशन वार्ड बनाए जाते हैं।



कैसे होता है आइसोलेशन वार्ड का उपयोग



जैसे की पहले ही बताया जा चुका है कि आइसोलेशन वार्ड में संक्रमित मरीजों को रखा जाता है। ऐसे में जानते हैं किन परिस्थितियों में आइसोलेशन वार्ड का उपयोग किया जाता है -

★ हानिकारक और संक्रामक रोग से ग्रसित व्यक्तियों को स्वस्थ व्यक्तियों की पहुंच से दूर रखने के लिए इन आइसोलेशन वार्ड का उपयोग किया जाता है।


★ भीड़भाड़ वाले इलाकों से मरीजों को दूर रखने के लिए भी आइसोलेशन वार्ड का इस्तेमाल किया जाता है।


★ पहले आइसोलेशन वार्ड का इस्तेमाल इन्फ्लूएंजा से लेकर इबोला जैसी बीमारियों से ग्रसित लोगों के लिए ही किया गया है, लेकिन अब कोरोनावायरस से ग्रसित लोगों के लिए भी ऐसे आइसोलेशन वार्डस का इस्तेमाल किया जा रहा है।


★ गंभीर रूप से फैलने वाली बीमारियां जो दिन प्रतिदिन जनता के बीच उच्च मृत्यु दर बढ़ाने का काम करती हैं ऐसी बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए ऐसे आइसोलेशन वार्ड बड़े-बड़े अस्पतालों से कुछ दूरी पर बनाए जाते हैं।


★ अस्पतालों में संक्रमित लोगों की जांच करके तुरंत उन्हें आइसोलेशन वार्ड में भेज दिया जाता है ताकि उनके संक्रमण का असर किसी स्वस्थ व्यक्ति तक ना पहुंच सके। यह एक सुरक्षित तरीका होता है, बाकी स्वस्थ व्यक्तियों को सुरक्षित रखने का और संक्रमित व्यक्ति को अलग से एक उचित चिकित्सा प्रदान करने का।



विचार...


अब आपको पता चल ही गया है कि आइसोलेशन वार्ड क्या है? कैसे बनाया जाता है और क्या फायदा होता है। अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी पसंद आए तो आगे शेयर जरुर करें और कॉमेंट करके अपने विचार पूछे।


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