टिड्डी का टेरर आपने बहुत सुना होगा, क्या आप टिड्डी के बारे में रोचक तथ्य जानते हैं। टिड्डी का वजन महज 2 ग्राम होता है और ये खाती भी महज 2 ग्राम ही हैं, तो फिर हजारों एकड़ फसल कैसे तबाह हो जाती है। इसी लिए दोस्तों हम आज टिड्डी के बारे में रोचक जानकारी (Interesting Facts about Locust) लेकर आएं हैं......
टिड्डी 2 ग्राम ही खाती हैं, लेकिन जब यही टिड्डी लाखों-करोड़ों की तादाद में झुंड बनाकर हमला कर दे, तो चंद मिनटों में ही पूरी की पूरी फसल बर्बाद कर सकती है। फसलों को बर्बाद करने वाली टिड्डों की ये प्रजाति रेगिस्तानी होती है, जो सुनसान इलाकों में पाई जाती है। इसी लिए जब ये किसी फसल पर हमला करती हैं तो उसे पूरी तरह से चट कर देती है। जिससे भारत इन दिनों जूझ रहा है।
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भारत में टिड्डी एक बार फिर चर्चा में है। क्योंकि अब टिड्डी दल ने भारत में घुसपैठ शुरू कर दी है। अब तक राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश में 50 हजार हेक्टेयर से ज्यादा की फसल टिड्डी दल ने खराब कर दी है। उत्तर प्रदेश के भी कुछ हिस्सों में टिड्डी दल पहुंच गया है। और दिल्ली की तरफ भी आ सकता है। ऐसा इसलिए भी क्योंकि टिड्डियों का झुंड हवा की दिशा में उड़ता है और हवा के रूख के अनुसार ही ये हमला करती हैं।
एक दिन में कितना उड़ सकती है टिड्डी?
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर हवा दिल्ली की तरफ चली तो अगले कुछ दिनों में टिडि्डयां दिल्ली पहुंच जाएंगी। अगर दिल्ली में टिड्डियों का हमला होता है, तो ये बहुत खतरनाक भी होगा, क्योंकि यहां का 22 प्रतिशत हिस्सा ग्रीन सिटी में कवर है। वैज्ञानिकों के मुताबिक एक टिड्डी दिनभर में 100 से 150 किमी तक उड़ सकती और 20 से 25 मिनट में ही पूरी फसल बर्बाद कर सकती है। इन्हीं सब कारणों से इसे 27 साल बाद सबसे बड़ा टिड्डी हमला माना जा रहा है।
जानिए कब हुआ सबसे ज्यादा नुक्सन?
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अधीन आने वाले डायरेक्टोरेट ऑफ प्लांट प्रोटेक्शन, क्वारैंटाइन एंड स्टोरेज के मुताबिक 1812 से भारत टिडि्डयों के हमले झेलते आ रहा है। 1926 से 31 के दौरान टिडि्डयों के हमले में 10 करोड़ रुपए की फसल बर्बाद हुई थी। इसके बाद 1940 से 1946 और 1949 से 1955 के बीच भी टिडि्डयों का हमला हुआ। इसमें दोनों बार 2-2 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था। 1959 से 1962 के बीच टिड्डी दल ने 50 लाख रुपए की फसल तबाह कर दी थी।
सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 1962 के बाद टिडि्डयों का कोई ऐसा हमला नहीं हुआ, जो लगातार तीन-चार साल तक चला। लेकिन 1978 में 167 और 1993 में 172 झुंडों ने हमला कर दिया था। इसमें 1978 में 2 लाख रुपए और 1993 में 7.18 लाख रुपए की फसल बर्बाद हो गई थी। 1993 के बाद भी 1998, 2002, 2005, 2007 और 2010 में भी टिडि्डयों के हमले हुए थे, लेकिन ये बहुत छोटे थे। इनमें ज्यादा नुक्सान नहीं हुआ।
टिडि्डयों का झुंड कितना खाता है एक दिन में?
किसान हमारे के खाने के लिए फसल उगाते हैं और टिडि्डयां इन फसल को खा लेती हैं। नतीजा भुखमरी होती है। यूनाइटेड नेशन के अंतर्गत आने वाले फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गनाइजेशन (एफएओ) के मुताबिक रेतीले इलाकों में पाई जाने वाली टिडि्डयां सबसे खतरनाक होती हैं। ये 150 किमी की रफ्तार से उड़ सकती हैं। एक किमी के दायरे में फैले झुंड में 15 करोड़ से ज्यादा टिडि्डयां हो सकती हैं। इन टिड्डियों का 1 किमी के दायरे में फैला झुंड एक दिन में 35 हजार लोगों का खाना चट कर जाती हैं।
टिडि्डयों का एक झुंड 1 किमी के दायरे से लेकर सैकड़ों किमी के दायरे तक फैला हुआ हो सकता है। 1875 में अमेरिका में 5 लाख 12 हजार 817 स्क्वायर किमी का झुंड था। मतलब इतना बड़ा कि उसमें दो उत्तर प्रदेश समा जाएं। उत्तर प्रदेश का एरिया 2 लाख 43 हजार 286 स्क्वायर किमी है। ऐसे में अगर इतना बड़ा झुंड किसी फसल पर हमला करें तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि उस फसल का क्या होगा और कितना नुकसान होगा।
जाने कहां से आती हैं टिडि्डयां?
आमतौर पर भारत में टिडि्डयों का हमला राजस्थान, गुजरात और हरियाणा में होता है। ये रेगिस्तानी टिड्डे होते हैं, इसलिए इन्हें ब्रीडिंग के लिए रेतीला इलाका पसंद आता है। इन टिड्डों का ब्रीडिंग पीरियड जून-जुलाई से अक्टूबर-नवंबर तक होता है। एफएओ के मुताबिक एक टिड्डी एक बार में 150 अंडे तक देती है। ऐसा कहा जाता है कि टिडि्डयां बड़ी तेजी से बढ़ती हैं। इनकी पहली पीढ़ी 16 गुना, दूसरी पीढ़ी 400 गुना और तीसरी पीढ़ी 16 हजार गुना से बढ़ जाती है।
आमतौर पर टिडि्डयां ऐसी जगह पाई जाती हैं, जहां सालभर में 200 मिमी से कम बारिश होती है। इसलिए ये पश्चिमी अफ्रीका, ईरान और एशियाई देशों में मिलती हैं। रेगिस्तानी टिडि्डयां आमतौर पर पश्चिमी अफ्रीका और भारत के बीच 1.6 करोड़ स्क्वायर किमी के क्षेत्र में रहती हैं। भारत में टिडि्डयां पाकिस्तान के जरिए आती हैं। पाकिस्तान में ईरान के जरिए आती हैं। इसी साल फरवरी में टिडि्डयों के हमलों को देखते हुए पाकिस्तान ने नेशनल एमरजेंसी घोषित कर दी थी। इसके बाद 11 अप्रैल से भारत में भी टिडि्डयां का आना शुरू हो गया।
इस साल की शुरुआत में टिडि्डयों ने अफ्रीकी देश केन्या में भयंकर तबाही मचाई थी। 70 साल में पहली बार ऐसा खतरनाक हमला हुआ था। वर्ल्ड बैंक ने इस साल के आखिर तक टिडि्डयों के हमले की वजह से केन्या को 8.5 अरब डॉलर यानी 63 हजार 750 करोड़ रुपए का नुकसान होने का अनुमान लगाया है। केन्या के अलावा इस साल इथियोपिया और सोमालिया में भी 25 साल का सबसे खतरनाक हमला हुआ है।
भारत में टिड्डी दल के लिए सरकारें व प्रशासन पूरी तरह से सतर्क हैं। ये तो आने वाले समय में ही पता चलेगा कि आखिर क्या होता है। इसलिए अगर आपको हमारे द्वारा दी गई जानकारी अच्छी लगे तो शेयर जरूर करें।
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